आज के दौर में एक ओर हर इंसान इतना व्यस्त है कि वो अपने कार्य को छोड़कर किसी अन्य का कार्य करना या उनका साथ देना नहीं चाहता, लेकिन वहीं दूसरी ओर इसी दौर में कुछ ऐसे भी इंसान है, जिन्होंने आज के स्वार्थ के दौर में भी इंसानियत को जिंदा रखा है। जी हां, अनिर्बान नंदी और पौलमी चाकी नंदी नामक दो युवा जोड़े ने समाज में लोगों के बीच अपने नेक कार्यों से इंसानियत की एक मिसाल पेश की है।
लॉकडाउन से हीं संभाल रहे गरीब बच्चों की जिंदगी
कोरोना के दौरान देश में लगे लॉकडाउन से हीं दो युवा जोड़े उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सिलीगुड़ी से सटे चाय बागान इलाकों में मजदूरों के बच्चों को पढ़ाकर उनकी ज़िंदगी संवार रहे हैं। वे इन बच्चों को न केवल महज दस रुपए में महीने भर ट्यूशन भी पढ़ाते हैं बल्कि वे इन्हें मुफ्त में किताबें भी देते हैं।
बता दें कि, अनिर्बान नंदी आईआईटी, खड़गपुर में सीनियर रिसर्च फेलो हैं. वहीं पौलमी सोशल साइंस और इकॉनामी में रिसर्च एसोसिएट हैं।

भारत में रहकर हीं गरीब बच्चों की जिंदगी संवारने का लिया फैसला
इन दोनो पति-पत्नी को अमेरिका में जाकर पीएचडी करने का बड़ा मौका मिला था लेकिन इन दोनों ने भारत में रहकर गरीब बच्चों की जिंदगी संवारने का फैसला लिया। यह निर्णय लेना उस समय अनिर्बान और पौलोमी के लिए कठिन था आज के समय में उन्हें अपने इस फैसले पर गर्व होता है।
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बच्चों को देते हैं मुफ्त में किताबें
कोविड काल में देश में लगे लॉकडाउन से ही दंपति जोड़ा पति-पत्नी उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सिलीगुड़ी से सटे चाय बागान इलाकों में मजदूरों के बच्चों की ज़िंदगी संवार रहे हैं। अब प्रति दिन ये गरीब बच्चे उन दंपति जोड़े की लाल रंग की कार का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। ये दोनो पति-पत्नी इन बच्चों को महीने में 10 रूपये में पढ़ाते हैं और मुफ्त किताबें भी लेकर आते हैं।

बच्चों के लिए बनाई लाइब्रेरी
दंपति ने इन गरीब बच्चों के लिए मोबाइल लाइब्रेरी शुरू की है। इसमें उन्होंने छह हज़ार से ज़्यादा किताबें रखी है और बच्चों को तीन महीने के लिए किताबें उधार देते है, जिससे बच्चा घर पर जाकर अच्छे से पढ़ाई कर सकें। उन्होंने अपनी लाइब्रेरी में प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित किताबें भी रखी है।

महिलाओं की भी करते हैं मदद
ये दंपति जोड़े बच्चों की जिंदगी संवारने के अलावें सिलीगुड़ी में बंद चाय बागानों की महिलाओं की मदद भी कर रहे हैं। साथ हीं खेतिहर महिलाओं को आधुनिक खेती के लिए प्रशिक्षित भी करते हैं। इन सबके अलावे वे महिलाओं को स्वच्छ मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूक करते है तथा उन्होंने उनके लिए एक सैनिटरी पैड बैंक की स्थापना की है।
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