इन दिनों देश में सभी राज्यों में गर्मी पूरा उफान पर है। इस भीषण गर्मी से हर कोई परेशान होते देखा जा रहा है तथा हर कोई इस कड़कड़ाते धूप में निकलने से बच रहा है। हालांकि इंसान की बात करे तो इंसान अपने अनुसार इस गर्मी से बचने में उपाय तो निकाल ले रहा है लेकिन वहीं इंसानों के अलावे अगर अन्य जीव की बात करें तो उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में बहुत सारे लोग सामने आएं हैं, जिन्होंने इस गर्मी में अन्य जीवों की मदद करने का जिम्मा उठाया है। इन्हीं लोगों में एक नाम शामिल है उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कटरा की रहने वाली 60 वर्षीय बुजुर्ग रानी (Rani) उर्फ कुशमा की, जिन्होंने 60 साल की उम्र में भी बेजुबान जीवों की मदद करने की एक पहल की है।
बुंदेलखंड की गर्मी
देश में ज्यादातर राज्यों में गर्मी की कहर देखने को मिल रही है। यूपी के बुंदेलखंड की बात करें तो यहां गर्मी अपने पूरे उफान में है। जिससे वहां रहने वाला इंसान हीं नहीं बल्कि हर जीव परेशान है। इस गर्मी के बीच में सबसे बड़ी समस्या पानी को लेकर है। क्योंकि हर साल यहां गर्मी ज्यादा पड़ने के वजह से यहां के नदी तालाब सब सुख जाते हैं। इंसान तो अपना कैसे भी जुगाड़ लगा लेता है लेकिन समस्या बेजुबानों के लिए हमेशा बनी रहती है। क्योंकि तालाब तथा नदी में पानी नहीं रखने में कारण यहां के जानवरों को पानी तक नहीं मिल पाता। इस कारण पानी की खोज में जंगल में रह रहे पशु-पक्षी परेशान होकर शहर की तरफ निकल जाते हैं।
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बेजुबान जानवरों को पानी पिलाने के लिए किया एक छोटा प्रयास
आज में समय में बुंदेलखंड के अलावा उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के जंगलों में रह रहे जानवरों को भी पानी की समस्या है। पानी की समस्या से निपटारे के लिए एक बुजुर्ग महिला ने एक बहुत अच्छी पहल की शुरूआत की है।
बता दें कि, कटरा से ताल्लुक रखने वाली 60 वर्षीय बुजुर्ग रानी (Rani) उर्फ कुशमा ने बेजुबानों तक पानी पहुंचाने के लिए एक प्रयास किया है। उम्र के इस पड़ाव में भी उनके अंदर बेजुबान जीवों की सेवा करने के लिए एक अलग हीं जुनून देखने को मिलता है।

बंदरों को पानी के संकट से दूर रखने का है उद्देश्य
रानी (Rani) ने बताया कि, उनका उद्देश्य जंगल के बंदरों को पानी के संकट से दूर रखना है। वे बताती कि पूरे राज्य में गर्मी की पूरी कहर है। ऐसे में इंसान इतना परेशान है तो जानवरों का हालात तो और भी बेहाल होगा। इसलिए उन्होंने फैसला किया है कि वे उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के जंगलों में रह रहे बंदरों को पानी के समस्या से नहीं जूझने देंगी।
बता दे कि 60 वर्षीय रानी ने सारे बंदरों का एक-एक नाम दिया हुआ है और वे हैंडपंप से पानी पिलाने के दौरान बंदरों को पप्पू, मुन्नू, कालू आदि नाम से बुलाती हैं और बंदर भी अपने नाम को अच्छे से याद रखते है और जैसे हीं रानी उनके नामों को पुकारती हैं उनकी आवाज सुन कर वे ऐसे आते हैं, जैसे उनकी मां उन्हें प्यार से बुला रही हो।
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पिछले 8 वर्षों से कर रही हैं बंदरों की मदद
पिछले 8 वर्षों से रानी (Rani) बागै नदी के पास स्थित देवी स्थान के पास एक झोपड़ी बनाकर उसमें रहती हैं तथा जब राज्य में गर्मी अपने उफान पर रहती है तो वे जंगलों में जाकर बेजुबान बंदरों का प्यास बुझाने के लिए हैंडपंप चलाती है और बंदरों को पानी पिलाती हैं। उन्हे अब इन बंदरों से इतना लगाव हो गया है कि वे एक परिवार के तरह उनके साथ समय व्यतीत करती हैं। हालांकि उनका पूरा परिवार कालिंजर क्षेत्र के कटरा में रहता है।
बता दें कि, उनके 4 बेटे थे लेकिन कुछ दिन पहले उसके एक बेटे की मौत हो गई थी। अब 3 बेटे अपने परिवार के साथ गांव में रहते हैं लेकिन रानी बेजुबान जानवरों की मदद के लिए घरे जंगल के बीच अकेले रहती है। हालांकि उनका परिवार अक्सर उनसे मिलने जंगल जाते रहते हैं।
लोग कर रहे हैं इस बुजुर्ग महिला की तारीफ
आज के समय में रानी (Rani) की हर तरह तारीफ हो रही है। आखिर तारीफ हो भी क्यू ना, इतने ज्यादा उम्र होने के बावजूद भी रानी ने जिस तरह से हैंडपंप चलाकर इन बंदरों की पानी की समस्या को दूर किया है वे वाकई में काबिले तारीफ है। साथ हीं रानी का यह कहना भी हैं कि, जब तक वह जीवित है तब तक वे इन बंदरों को पानी पिलाती रहेंगी।